इंटरव्यू और ओपिनियन
गौरव अग्रवाल: आईआईटी-आईआईएम से लेकर यूपीएससी टॉपर बनने तक का प्रेरक सफर
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के हालिया परिणामों के बीच 2013 के टॉपर गौरव अग्रवाल एक बार फिर चर्चा में हैं। उनकी कहानी न केवल मेहनत और लगन का उदाहरण है, बल्कि यह भी दिखाती है कि असफलता के बाद भी सफलता पाई जा सकती है।
शुरुआत: आईआईटी और आईआईएम की कठिन राह
गौरव अग्रवाल जयपुर, राजस्थान के रहने वाले हैं। उन्होंने 17 साल की उम्र में आईआईटी प्रवेश परीक्षा में 45वीं रैंक हासिल की और आईआईटी कानपुर में कंप्यूटर साइंस में दाखिला लिया। हालांकि, यहां उनका सीजीपीए अच्छा नहीं रहा और उन्हें कई विषयों में बैक पेपर देने पड़े, जिससे उनका आत्मविश्वास भी डगमगा गया।
इस असफलता के बावजूद गौरव ने हार नहीं मानी। उन्होंने कैट परीक्षा दी और 99.94 परसेंटाइल के साथ आईआईएम लखनऊ में प्रवेश पाया। यहां उन्होंने कड़ी मेहनत की, गोल्ड मेडल हासिल किया और फिर हांगकांग में सिटी ग्रुप में इन्वेस्टमेंट बैंकर के रूप में नौकरी शुरू की।

विदेशी नौकरी छोड़ यूपीएससी की ओर रुख
हांगकांग में शानदार पैकेज पर नौकरी के बावजूद गौरव के मन में आईएएस बनने का सपना जिंदा था। उन्होंने नौकरी छोड़ भारत लौटने का फैसला किया और यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। पहली बार 2012 में परीक्षा दी, 244वीं रैंक आई और आईपीएस बने, लेकिन उनका लक्ष्य आईएएस बनना था।
यूपीएससी टॉप और देश सेवा का संकल्प
2013 में गौरव ने दोबारा यूपीएससी परीक्षा दी और देशभर में टॉप किया। वे राजस्थान कैडर के पहले ऐसे अधिकारी बने जिन्होंने यूपीएससी टॉप किया। वर्तमान में वे जोधपुर के कलेक्टर हैं।
नवाचार और प्रशासनिक बदलाव
गौरव अग्रवाल ने प्रशासनिक सेवाओं में तकनीक का बेहतरीन इस्तेमाल किया। राजस्थान में माध्यमिक शिक्षा निदेशक रहते हुए उन्होंने एआई आधारित कॉपी जांच प्रणाली लागू की, जिससे लाखों उत्तर पुस्तिकाओं की जांच आसान और निष्पक्ष हो गई। कृषि विभाग में रहते हुए किसान कॉल सेंटर की सेवाओं में भी सुधार किया।
सफलता का मंत्र: निरंतरता, धैर्य और आत्मविश्लेषण
गौरव मानते हैं कि यूपीएससी जैसी परीक्षाएं 100 मीटर की रेस नहीं, बल्कि मैराथन हैं। निरंतर अभ्यास, आत्मविश्लेषण और परिवार का सहयोग सफलता की कुंजी है। वे कहते हैं कि विषयों को रटने के बजाय समझना चाहिए और मानसिक-शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए।
गौरव अग्रवाल की कहानी बताती है कि असफलता के बाद भी अगर लक्ष्य स्पष्ट हो और मेहनत जारी रहे, तो सफलता निश्चित है। आईआईटी, आईआईएम और यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षाओं को पार कर गौरव ने यह साबित किया है कि सपनों को साकार करने के लिए जज्बा और समर्पण जरूरी है।
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